सच छुपाया जाता है।
आँख मूंदे न्याय की देवी,
जाने कितना देख पाती है,
कितने झूठ उजागर होते,
कितने सच छुपाती है।
न्याय के मंदिर के देखो,
स्वरूप यहां कितने हैं,
गिनो, निचली अदालतों से दोषी बन,
बाइज्जत बरी होने वाले कितने हैं।
सालों तक तारीखें दे दे कर सच को,
तार तार कर झुठलाया जाता है,
न्याय की ही ओट...