वो अब "ख़ुद" से ही मुकरने लगी है
कभी उसकी आँखों में भी बेजा
मासूमियत रक़्स किया करती थी!!
पर अब उसकी आँखों में भी ज़माने
भर की विरानियाँ दिखती हैं,
महरूमियाँ दिखती हैं!!
मुस्कुराती तो अब भी है वो,
कभी खुद को छुपाने के लिए,
कभी अपनों की ख़ुशियों के लिए!!
फर्क बस इतना...