छलिया
कहो न प्रियतम
कितने नाम धरोगे तुम
कितने भूषा बदलोगे तुम
प्रेम किया है हमने तुमसे
प्रथम प्रीत का अनुभव जैसे
गाछी में नवल पुष्प हो जैसे...
कितने नाम धरोगे तुम
कितने भूषा बदलोगे तुम
प्रेम किया है हमने तुमसे
प्रथम प्रीत का अनुभव जैसे
गाछी में नवल पुष्प हो जैसे...