9 views
छलिया
कहो न प्रियतम
कितने नाम धरोगे तुम
कितने भूषा बदलोगे तुम
प्रेम किया है हमने तुमसे
प्रथम प्रीत का अनुभव जैसे
गाछी में नवल पुष्प हो जैसे
देह गौण था प्रीत में मेरे
शब्दों को ओढ़ा था तेरे
जब जब आओगे तुम
भेष बदल कर
नाम बदलकर
शब्द तुम्हारे साथ चलेंगे
प्रियतम तुम मेरे ही होगे
कहो न प्रियतम
कितने नाम धरोगे तुम
फिर कब उस नाम से मिलोगे तुम।
© All Rights Reserved
कितने नाम धरोगे तुम
कितने भूषा बदलोगे तुम
प्रेम किया है हमने तुमसे
प्रथम प्रीत का अनुभव जैसे
गाछी में नवल पुष्प हो जैसे
देह गौण था प्रीत में मेरे
शब्दों को ओढ़ा था तेरे
जब जब आओगे तुम
भेष बदल कर
नाम बदलकर
शब्द तुम्हारे साथ चलेंगे
प्रियतम तुम मेरे ही होगे
कहो न प्रियतम
कितने नाम धरोगे तुम
फिर कब उस नाम से मिलोगे तुम।
© All Rights Reserved
Related Stories
16 Likes
8
Comments
16 Likes
8
Comments