...

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एक हम ही कहां पहलू में तेरी खुद की जान रखते हैं
पहलू में आके बैठे भी नहीं बिछड़ने की राह तकते हैं
ऐसी बातों से ही ताल्लुख अब जनाब रखते हैं

दूरियों में इस कदर फ़िक्र शामिल हुआ करती है
वो मिल भी जाएं तो बातों में थोड़ा मलाल रखते हैं

तेरा अक्स छुपा रखा है आंखों में अबतलक मैंने
लाखों की भीड़ में भी बेहतर तेरी...