...

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फिर याद आए वो
कैसे भुला दूँ उन्होंने सजाई मेरे माथे की बिंदियाँ
पागल थे वो भुला बैठे थे अपने रातों की निंदियाँ

हँसती भी थी मैं तो सुकूँ पा जाते थे वो भी कभी
आज फिर याद आए वो आसुंओ को छुपाते अभी

हाँ माना कि- मैं थोड़ीसी नादान हूँ ,नासमझ नही
समझती हूँ उनकी धड़कन, आंजान तो वो भी नही

करो मनमानी आप भी हम तो जी रहे आपको ही
आप चाहो वो करो,हम तो याद कर रहे आपको ही

क्या फरक पड़ता है दुःखी रहे हम, बेज़ान रहे हम
आप जी लो अपनी तरह, अब रास्तों में नही रहे हम

चलो छोड़ दिया अब हमने आपको आपके राह पर
जी कर दिखाओ खुदगर्ज बन अकेले मंज़िल-ए-राह पर

अलविदा कर दिया इस जन्ममें,आपकी अधूरी कहानी बन
मिलेंगे नही हम किसी भी जन्म अब, मेरी अधूरी कहानी बन