...

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जीवन
ना ख्वाहिशों में रंग भरे हैं
ना अरमानों में पंख लगे हैं
ना जीवन में दीप जले हैं
ना रातों में ख्वाब सजे हैं
ना आशाओं में चांद छिपे हैं
ना प्रतिभा में सूर्य उगे हैं
ना भावों को आकार मिलें हैं
ना प्रेम में अधिकार मिले हैं
ना व्यवस्था में सुधार मिलें हैं
ना आलोचना में पुरस्कार मिले हैं
ना सराहना में गले मिलें हैं




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