...

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अब आगे क्या?
थक चूका हूं अब हारकर में
बैठा हूं अपनी उम्मीदों को मारकर में
देख चुका हूं सब अजमाकर में
हैं अंधेरा चारो ओर
नही मील रहा मुझे कोई तोड़

अब नही है किसी से आस
ना जानें मुझे किसकी थी तलाश
समझता था में जिनको खास
अब उठ चूका है उन सब से विश्वाश
है सबके मन में बस एक ही सवाल

अब क्या करेगा ये बेचारा लाचार
बार बार बार बार बार बार
सभी क्यू उठाते है ये सवाल
ना जानें क्यू नही आता
इनके मन में मेरी मानसिकता का खयाल

इनके सवाल जैसे मानो जिंदा लाश को
नोच रहे हो गिद्ध हजार ........

फिर क्या था
बातों को लगा दिल से
करा मेने खुद से सवाल
अब आगे क्या?

पुछा मेने खुद से यही कही बार
अंदर से आई आवाज
इस ज़माने का यही है रिवाज
अब हार नही माननी मेरे यार
अब हार नही माननी मेरे यार

क्या हुआ जो नही मिला ज़माने से प्यार
करेगा कुछ या बना रहेगा
अपनी शिकायतों का हकदार
चल उठ ना दिखा इन सब को एक बार

बता ना इन सबको एक बार
क्या कर सकता है तू मेरे यार
सही है तूने जमाने की मार
अब है वक्त तेरा करने का प्रहार

सोचता क्या है
तू कर सकता है मेरे यार
तू कर सकता है मेरे यार
ना आने दे तू बुरे खयाल
देख ना तू तेरा हाल

अब आ चुकी है घड़ी
देख ना तेरे सामने चुनौतियां आन पड़ी
उठ तू उठा ले तेरी तरवार
कर घोषणा युद्ध की तू
लगाकर जयकार! लगाकर जयकार!

ये सब है भ्रम तेरा तगड़ा
तूने ही तो है खुद को जकड़ा
देख ना तेरा खुद से ही है झगड़ा
अब खतम कर यार ये लफड़ा

देख उम्मीद की किरण तेरे द्वार खड़ी
उठ खड़ा हो मार हुड़ी
उठ खड़ा हो मार हुड़ी
कर ले तू अपनी हर इच्छा पूरी।

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