...

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अब आगे क्या?
थक चूका हूं अब हारकर में
बैठा हूं अपनी उम्मीदों को मारकर में
देख चुका हूं सब अजमाकर में
हैं अंधेरा चारो ओर
नही मील रहा मुझे कोई तोड़

अब नही है किसी से आस
ना जानें मुझे किसकी थी तलाश
समझता था में जिनको खास
अब उठ चूका है उन सब से विश्वाश
है सबके मन में बस एक ही सवाल

अब क्या करेगा ये बेचारा लाचार
बार बार बार बार बार बार
सभी क्यू उठाते है ये सवाल
ना जानें क्यू नही आता
इनके मन में मेरी मानसिकता का खयाल

इनके सवाल जैसे मानो जिंदा लाश को
नोच रहे हो गिद्ध हजार ........

फिर क्या था
बातों को लगा दिल से
करा मेने खुद से सवाल
अब आगे...