...

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ज्यादा कहा बदली हूं?
न जाने क्यों लगता है
कुछ बदल सी गई हूं मैं
कुछ ख्वाशियें डर
तो कुछ डर ख्वाशियें बन गई है

जिस अंधेरे से डरकर
दूर भागा करती थी
आज उसी अंधेरे में बैठ कर
दूरियों की वजह ढूंढती हूं

ऐसा लगता है न जाने क्यों
की कुछ बदल सी गई हूं मैं
तब कईं सारी चीज़ों में खुशियां थी
आज खुशियों...