जरा वक्त निकाल कर,चलो आज खुद से बातें करते हैं...💎
जरा वक्त निकाल कर आज
आंखें बंद कर उनमें बीती यादें भरते हैं,
रोज- रोज की इस चहल- पहल के बीच
चलो आज खुद से बातें करते हैं।
चलो जी लेते है इक लम्हे को
भूल सब कुछ याद करते हैं अपनों को
पढ़ते हैं आज एक दफा फिर
संजो के रखा है हमने जिन किताब के पन्नों को।
दिल पर हाथ रख, हसीन पलों को याद कर
जाने -अनजाने हो जाती हैं अक्सर ये आंखें नम
चलो रो लेते हैं आज, याद कर उन यारों को
जिनके साथ जिया था हमने अपना हर खुशी और ग़म।
पर वक्त पर शायद किसी का जोर नहीं
बदल जाते...
आंखें बंद कर उनमें बीती यादें भरते हैं,
रोज- रोज की इस चहल- पहल के बीच
चलो आज खुद से बातें करते हैं।
चलो जी लेते है इक लम्हे को
भूल सब कुछ याद करते हैं अपनों को
पढ़ते हैं आज एक दफा फिर
संजो के रखा है हमने जिन किताब के पन्नों को।
दिल पर हाथ रख, हसीन पलों को याद कर
जाने -अनजाने हो जाती हैं अक्सर ये आंखें नम
चलो रो लेते हैं आज, याद कर उन यारों को
जिनके साथ जिया था हमने अपना हर खुशी और ग़म।
पर वक्त पर शायद किसी का जोर नहीं
बदल जाते...