...

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व्यर्थ हैं पर बात हैं
मुझे खुद को नहीं खोना,
अच्छा हीं हैं किसी भावना का ना होना
क्यूँ करू शब्दो को व्यर्थ मै
ज़ब तुमको शब्दों में नहीं होना,
अच्छा कब लगा हैं किसी को कहानी में अकेले होना
डरता हु उस सपने से जिसमे पड़े मुझे अकेला रोना
कोई समझे या ना समझे क्यूँ किसी को समझाना हैं
जबसे समझा हैं खुद को ये लड़का अपना हीं दीवाना हैं!!
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