ग़ज़ल
अगर तुम्हारा नहीं तो आखिर कुसूर किसका है,
तुम्हारे सिर पर चढ़ा है जो वो सुरूर किसका है।
लोग मिलते हैं पल भर के लिए,बीता वक्त बनके,
तुमने जो बसा लिया दिल में तो कुसूर किसका है।
तुम्हें मयखाना समझ कोई आया था गम भुलाने,
इश्क का तुमने जाम पिया तो...
तुम्हारे सिर पर चढ़ा है जो वो सुरूर किसका है।
लोग मिलते हैं पल भर के लिए,बीता वक्त बनके,
तुमने जो बसा लिया दिल में तो कुसूर किसका है।
तुम्हें मयखाना समझ कोई आया था गम भुलाने,
इश्क का तुमने जाम पिया तो...