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#नारी#पहचान
माना नारी के बिना अधुरी है सृष्टि
ऐसी कहां है किसी की दृष्टि
इंसान नारी कि बिना दुनिया में रहना
सोच भी नहीं सकता
पर नारी की दुनिया में कहां ,पहचान है होती।
जब आती है वह इस दुनिया में, तो
उसके पापा कि नाम से जानी जाती
जब होती उसकी शादी तो उसके
पती के नाम से पहचान है होती
जब बनती है मां तो बच्चों के नाम से पहचान है होती
पर नारी की कहां है अपनी पहचान है होती
इसी कशमकश में झूठे सपनों की ताकत में वह है जीती
कब बनाएगी खुद की पहचान
जिसके नाम से उनकी शान है होती ।
ताकत है उसमें इतनी जितनी कोई सहन,
कर सकता नहीं
बढ़े बढ़े कामों में वह जान है फूंकती
पिछे नहीं है किसी भी काम में ,आज की नारी
पर उनकी हिम्मत की दात कहां है होती क्योंकि नारी की कहां अपनी पहचान है होती।।
© mmmmalwinder