Love poem .....
महोब्बत पे जितना भी लिखूं
कविता कभी पूर्ण नहीं होती
रंग सारें भर दियें
तस्वीर फिर भी मुकम्मल नहीं होती
अथाह सागर है प्रेम का जज़्बा
लाख डूबों तलहटी नहीं मिलती
एक अश्क ही डुबो देता है कायनात को
प्यार की बूंद में सागर सी गहराई छुपी रहती
इक नज़र...
कविता कभी पूर्ण नहीं होती
रंग सारें भर दियें
तस्वीर फिर भी मुकम्मल नहीं होती
अथाह सागर है प्रेम का जज़्बा
लाख डूबों तलहटी नहीं मिलती
एक अश्क ही डुबो देता है कायनात को
प्यार की बूंद में सागर सी गहराई छुपी रहती
इक नज़र...