...

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मातृ दिवस
नि:स्वार्थ जो उत्थान चाहे,
भर देती जो फूलों से राहें।
कांटो को चुनकर पास रख लें ,
संतान के जो गरल को चख लें।
करुणा को देख ईश भी लजाए ,
ममता को देख धरा भी...