aaya vo phir nazar...
"आया वह फिर नज़र ऐसे,
बात छिड़ने लगी फिर से।
आँखों में चुभता कल का धुआँ।
........
हाल तेरा न हम सा ही,
इस खुशी में क्यों ग़म सा ही।
बसने लगा क्यों फिर वह जहाँ।
वह जहाँ दूर जिसे गए थे निकल।
...........
फिर से यादों ने कर दी है जैसे पहल।
लम्हा बीता हुआ, दिल दुखाता रहा।
ख़माका बेवजह ख्वाब बुनता रहा।"
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बात छिड़ने लगी फिर से।
आँखों में चुभता कल का धुआँ।
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हाल तेरा न हम सा ही,
इस खुशी में क्यों ग़म सा ही।
बसने लगा क्यों फिर वह जहाँ।
वह जहाँ दूर जिसे गए थे निकल।
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फिर से यादों ने कर दी है जैसे पहल।
लम्हा बीता हुआ, दिल दुखाता रहा।
ख़माका बेवजह ख्वाब बुनता रहा।"
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