...

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ग़ज़ल
दर्द-ए-पिन्हाँ की सदा, आप नहीं समझोगी
क्या है इस दिल की दवा, आप नहीं समझोगी

"ख़ैर" कह कर जो मैं ने बात अधूरी छोड़ी
इस का मतलब ही ये था, "आप नहीं समझोगी"

क्या असर मुझ पे हुआ आप के यूँ जाने से
फूल क्यूँ सूख गया, आप नहीं समझोगी

आप को इश्क़ किसी से है, ये सुन कर मुझ को
दिल में क्यूँ दर्द उठा, आप नहीं समझोगी

आप तो लफ़्ज़ भी मुश्किल से समझ पाती हो
ये ख़मोशी की सदा, आप नहीं समझोगी

बारहा आप को समझाया मगर जान-ए-जाँ
मुझ को एहसास हुआ, आप नहीं समझोगी

© Rehan Mirza

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