...

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कोशिश
कोशिश करो हज़ार बार, जब तक ना हो दरिया पार।

मुक्ति स्वर्ग की आकांक्षा में, मन्तव्यों की लालसा में,
क्या खोने में क्या पाने में, तू बन अपनी कश्ती का खेवनहार।
जब तक ना हो दरिया पार।।

देखना क्या कि कैसा भंवर है, जैसा लहर है वैसा डगर है
जीवन नदी का ये सफर है, छूटे ना कभी अपनी पतवार।
जब तक ना हो दरिया पार।।

ना हमने जाना ना तुमने जाना, जीवन क्या है किसने पहचाना,
गर कोई मिले उसे बतलाना, चाहत जिसकी हो जाए अपार।
जब तक ना हो दरिया पार।।

कोशिश करो हज़ार बार, जब तक ना हो दरिया पार।।
© Nitin Singh