होड़
सोचती मैं रहीं क्या- करूं क्या - करूं ,
कुछ ना मिला मुझको यूं सोच कर !
मैं गुम थी किसी बड़े खयाल में ,
वो खयाल ही मेरा कहिं घूम हो गया !
मुझे कुछ ना दिया जिंदगी ने मेरी ,
जो दिया वो भी सब मैं गवांती गई !
दुआ भी मेरी बेअसर है हुई ,
मांगती भी क्या खाली झोली पड़ी !
प्रतिभा नहीं अब किसी विषय में मुझे ,
जो है भी वो सब हैं अधूरी पड़ी !
शब्द कड़वे हुए कब पता ना चला ,...
कुछ ना मिला मुझको यूं सोच कर !
मैं गुम थी किसी बड़े खयाल में ,
वो खयाल ही मेरा कहिं घूम हो गया !
मुझे कुछ ना दिया जिंदगी ने मेरी ,
जो दिया वो भी सब मैं गवांती गई !
दुआ भी मेरी बेअसर है हुई ,
मांगती भी क्या खाली झोली पड़ी !
प्रतिभा नहीं अब किसी विषय में मुझे ,
जो है भी वो सब हैं अधूरी पड़ी !
शब्द कड़वे हुए कब पता ना चला ,...