...

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होड़
सोचती मैं रहीं क्या- करूं क्या - करूं ,
कुछ ना मिला मुझको यूं सोच कर !

मैं गुम थी किसी बड़े खयाल में ,
वो खयाल ही मेरा कहिं घूम हो गया !

मुझे कुछ ना दिया जिंदगी ने मेरी ,
जो दिया वो भी सब मैं गवांती गई !

दुआ भी मेरी बेअसर है हुई ,
मांगती भी क्या खाली झोली पड़ी !

प्रतिभा नहीं अब किसी विषय में मुझे ,
जो है भी वो सब हैं अधूरी पड़ी !

शब्द कड़वे हुए कब पता ना चला ,...