...

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ऐसी मुलाकात कर गए...........
ख़ामोश निग़ाहों से कुछ कह गए
बड़ी चालाकी से गुमराह कर गए

एक नज़र ही देखा उसे कुछ पल
में उनकें हजारों किस्से सुना गए

ठहरें हुए थे मेरे होठों पर कई
सवाल वो आँखोंसे जवाब दे गए

अपनी मासूमियत भरी अदा से
हमें एक ही बारमे घायल कर गए

बिना छुए हमें सिर्फ़अपनी नज़रों
से हमारा क़त्ले ए आम कर गए

अंजान शहरमें मुझ जैसे अज़नबी
को वो अपना महबूब बना गए

प्यार में ऐसे हक जता गए हमारे
दिल को उसका घर बता गए

इत्तफाक से मिले की हमारी
ज़िंदगी में वो अपने रंग भर गए


© बेशक मैं शायर नहीं