...

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है लालसा कितनी बड़ी?
इंसान की ख्वाहिश बड़ी,
चाहत में है कुर्बान सभी,
भरती कभी झोली कही,
है जुस्तजू कुछ को अभी,
अंबर किसी का है चढ़ा,
गर्दिश मे है तारे कही,
है पथभ्रमित राहो पर कुछ ,
कुछ अहम मे है चूर भी,
हंसती है फिर यह हसरते,
इच्छाएं ढूंढे बस कमी,
पछतावा तो रुकता नही,...