आंखें कहती है
आंखें कहती है
सुन सको तो जानो
दर्द पीड़ा और आंसुओं को
पढ़ सको तो पहचानो
खुली किताब है अनुभव
हो सके तो बूंद-बूंद को छानो
तपती धरती जल रही है
पल्लर से तो झापो
नहीं समझती है मुझको कोई
तुम तो अंदर से मुझको जानो
कितना हद तक टुट चुका
अब तो मेरी दम...
सुन सको तो जानो
दर्द पीड़ा और आंसुओं को
पढ़ सको तो पहचानो
खुली किताब है अनुभव
हो सके तो बूंद-बूंद को छानो
तपती धरती जल रही है
पल्लर से तो झापो
नहीं समझती है मुझको कोई
तुम तो अंदर से मुझको जानो
कितना हद तक टुट चुका
अब तो मेरी दम...