...

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कोई गल नहीं, बस है sorry जी।।
सूनी ना कभी उसकी
उसकी नज़रों को तो कभी
परखा ही नहीं गया,
उसकी गुहार तक को भी
कर दिया गया अनसुना।
झर झर बह गए उसके आंसू
है वो अकेला पड़ गया
मूल उसको है बेवजह चुकाना पड़ गया।।

गलतफहमी दूर हुई तब
एक पंक्ति का बस फरमान लिख दिया
की। कोई गल नहीं
बस है sorry ji ।।।।


गलती ना थी उसकी
फिर भी उसपर इंसान लग गया
जैसे रावण पर
असाधुता का निशान लग गया।

सच जानें बिना ही पैग़ाम लिख दिया...