रानी परी
खुली है.. बोतल खो गया ढक्कन,
देखो बैठी, परियों की उसमे रानी।।
सोंच रही या कुछ बोलना चाहती,
समझो उसके अंतर्मन की जुबानी।।
मुस्कान निराली सूरत पे भोलापन,
ऐसे दिखती जैसे कोई एक कहानी।।
खुले आसमां में देखो उड़ना चाहती,
पर घबराती या बनती बड़ी सयानी।।
कैदी है...टोटल छा गया दीवानापन,
देखो बन बैठी, उसमे एक अनजानी।।
सोंच रही या है कुछ, बोलना चाहती,
समझो तो उसके अंतर्मन की जुबानी।।
© ALOK Sharma...✍️
देखो बैठी, परियों की उसमे रानी।।
सोंच रही या कुछ बोलना चाहती,
समझो उसके अंतर्मन की जुबानी।।
मुस्कान निराली सूरत पे भोलापन,
ऐसे दिखती जैसे कोई एक कहानी।।
खुले आसमां में देखो उड़ना चाहती,
पर घबराती या बनती बड़ी सयानी।।
कैदी है...टोटल छा गया दीवानापन,
देखो बन बैठी, उसमे एक अनजानी।।
सोंच रही या है कुछ, बोलना चाहती,
समझो तो उसके अंतर्मन की जुबानी।।
© ALOK Sharma...✍️