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वीर-जवान
"वीर जवान"
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दिल राजी है, ईमान राजी है।
वतन के खातिर, यह जान हाजिर है ।
वतन पर मर मिटने को जज़्बात राजी है ।
लुट जाऊं, मिट जाऊं, बिक जाऊं वतन के खातिर जान हाजिर है।
वतन के खातिर दिल में सुलगते अरमान कुर्बान।
वतन के आगे प्रियतमा का प्यार भी बेमानी है।
पत्नी की आस, मां बाबा का इंतजार भी लाजमी है पर,
देश की सुरक्षा से बढ़कर ना कोई ख्याल राजी है।
मातृभूमि का कर्ज चुकाने को वतन का सिपाही...