...

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एक तेरी याद है जो मौत सा है .....
दौड़ रहे दिन व रात,
चल रहे घड़ी सुबह शाम,
और एक तेरी याद है,
जो जाती ही नहीं।

तेरी मोहब्बत में मरी नहीं,
यहीं है जो मुझमें घुली नहीं,
और ये कहना की मैं जिंदा हूं !
ये बात भी पूरी तरह सही नहीं।

तू जो सांसों से रूह तक में बसा है।
क्या बताऊं ? बड़ा घूटन सा होता है।
तेरे न होने के हकीकत से वाकिफ मैं!
कई दफा खुद को मौत का नज़ारा दिखाया है।

जब जब तुझसे नफरत करना चाहा,
वो पल मुझे जिंदगी से दूर,
मौत के करीब ले गया ।

एक सिर्फ़ तेरा ख्याल है,
जो मुझे जीने नहीं देता।
और एक मेरी मां का प्यार है,...