तेरी एक झलक मिल जाए अगर
हर रोज अगर चाँद नजर आने लग जाएँ |
जितने रोजेदार हैं सब ईद मनाने लग जाएँ |
हम अपने दीयों को बुझाना पसंद करेंगे,
आप जैसी आंधियां गर उसको बुझाने लग जाएँ |
तेरी एक झलक मिल जाए अगर हमको,
हम तो हर शाम छत पर आने लग जाएँ |
खुदा करे उस दिन जल्द सुबह न हो,
जिस रात वो मेरे ख्वाब में आने लग जाएँ |
फिर तो मयखाने जाने की जरूरत न पड़े,
गर आप अपनी नजरों से पिलाने लग जाएँ |
खुदा कसम तुम तब याद आते हो बहोत,
जब कभी हम तुमको भुलाने लग जाएँ |
यूँ तो आसान बहुत है शायर होना,
पर एक शेर कहने में तुमको जमाने लग जाएँ |
© parth
जितने रोजेदार हैं सब ईद मनाने लग जाएँ |
हम अपने दीयों को बुझाना पसंद करेंगे,
आप जैसी आंधियां गर उसको बुझाने लग जाएँ |
तेरी एक झलक मिल जाए अगर हमको,
हम तो हर शाम छत पर आने लग जाएँ |
खुदा करे उस दिन जल्द सुबह न हो,
जिस रात वो मेरे ख्वाब में आने लग जाएँ |
फिर तो मयखाने जाने की जरूरत न पड़े,
गर आप अपनी नजरों से पिलाने लग जाएँ |
खुदा कसम तुम तब याद आते हो बहोत,
जब कभी हम तुमको भुलाने लग जाएँ |
यूँ तो आसान बहुत है शायर होना,
पर एक शेर कहने में तुमको जमाने लग जाएँ |
© parth