आधी अधूरी कहानी आँख-भर रही है
कुछ कहानी नज़्मों में उतर रही है
वो निशानी ग़ज़लों में निखर रही है
कोरे कागजों पे शब्दों की हलचल यूं
आज इम्तिहानी बनकर ठहर रही है
उठ रहा शर्मो हया के पर्दा निगाहों से
ये अश्क-बयानी धीरे धीरे मुकर रही है
लबों पे आज फिर कुछ बातें आ ही गई
यहां आना-कानी की कुछ ख़बर रही है
इशारों में इरादों की कहानी ऐसे समेटे ली ...
वो निशानी ग़ज़लों में निखर रही है
कोरे कागजों पे शब्दों की हलचल यूं
आज इम्तिहानी बनकर ठहर रही है
उठ रहा शर्मो हया के पर्दा निगाहों से
ये अश्क-बयानी धीरे धीरे मुकर रही है
लबों पे आज फिर कुछ बातें आ ही गई
यहां आना-कानी की कुछ ख़बर रही है
इशारों में इरादों की कहानी ऐसे समेटे ली ...