...

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लड़की क्यों है?
मुझे गर्व है में भारत में पैदा हुआ,
लेकिन मुझे शर्म भी आती है,,।

(कहीं)
कोई हथनी के लिए आवाज उठाता है
कहीं नन्ही गुड़िया बलात्कार से दम तोड़ जाती है।

हमारी इंसाफ की घड़ी राजनीति के रंजिशो में उलझ जाती है,
ओर,, गुड़िया के पिता से पूछा जाता है "क्या मांग है"।
वहीं मेरे कानों के रास्ते मेरी रुह क़ाप जाती है।

ना जाने कौन हिन्दू ना जाने कौन मुस्लिम इन्सान हूं में,
दलित, आदिवासी, गरीब पर इन्सान हूं में।

मेरा खुदा ना जाने क्यों डर जाता है वो,
बलात्कार, हवानियत, शोषण के बाद ना तो टोपी में ना तो भगवा में नजर आता है वो।

कहने को बहुत कुछ है पर उम्मीद नहीं है,,
दिल में दर्द है पर उम्मीद नहीं है।

© reality mirror