प्रेम हो तो ऐसा
#पौराणिककथाओंकीपुनरवृत्ति
बरसो पुरानी बात है ।प्रीति नाम की एक पतिव्रता स्त्री थी जो पति के हर दुःख सुख में साथ निभाती थी वो बिना अपेक्षा और शिक़ायत के हंस हंस कर साथ देती थी।
पर उसका पति प्रेम एक वैश्या के संगत में रहता था।एक दिन की बात है संध्या का समय था, प्रेम किसी कारणवश घर आया हुआ था वह जाने ही वाला था कि मुसलाधार बारिश होने लगी साथ ही साथ बिजलियां कड़कने लगी आंधी तुफान भी उफ़ान लिए हुआ था।
वह बारिश थमने का इंतजार कर रहा था मगर कोई आसरा नहीं दिख रहा था। अंधेरा घना गहराने लगा तो प्रीति गरमा गरम विभिन्न तरह की भोजन परोसती है ,वह भी हाथ मुंह धोकर खाने को बैठता है मगर एक भी निवाला खा नहीं पाता है वह उठता है फिर रख देता है ।
प्रीति देख रही है कि वो बहुत परेशान है वो कारण पुछती है कि क्या बात है आप खा नहीं रहे है हमसे कहिए मै समाधान कर दूंगी।पर वो कुछ नहीं कहता है।
अथक...
बरसो पुरानी बात है ।प्रीति नाम की एक पतिव्रता स्त्री थी जो पति के हर दुःख सुख में साथ निभाती थी वो बिना अपेक्षा और शिक़ायत के हंस हंस कर साथ देती थी।
पर उसका पति प्रेम एक वैश्या के संगत में रहता था।एक दिन की बात है संध्या का समय था, प्रेम किसी कारणवश घर आया हुआ था वह जाने ही वाला था कि मुसलाधार बारिश होने लगी साथ ही साथ बिजलियां कड़कने लगी आंधी तुफान भी उफ़ान लिए हुआ था।
वह बारिश थमने का इंतजार कर रहा था मगर कोई आसरा नहीं दिख रहा था। अंधेरा घना गहराने लगा तो प्रीति गरमा गरम विभिन्न तरह की भोजन परोसती है ,वह भी हाथ मुंह धोकर खाने को बैठता है मगर एक भी निवाला खा नहीं पाता है वह उठता है फिर रख देता है ।
प्रीति देख रही है कि वो बहुत परेशान है वो कारण पुछती है कि क्या बात है आप खा नहीं रहे है हमसे कहिए मै समाधान कर दूंगी।पर वो कुछ नहीं कहता है।
अथक...