कभी हमसे हमारा हाल पूछो
मुझे भाती बहुत है उसकी सूरत ,
मगर उसको नहीं मेरी जरूरत,
ऐसा लगता है मर ही जाएंगे हम ,
करते-करते एक तरफा मोहब्बत,
सूखती जा रही क्यों खाल पूछो ,
कभी हमसे हमारा हाल पूछो,
कैसे फिरते हो दीवानों की तरह,
बढ़ा रक्खे हैं क्यों ये बाल पूछो,
कटा है किस तरह एक एक लम्हा,
कैसे गुजरा है तुम बिन साल पूछो,
क्या तुम रात भर सोए नहीं हो,
कैसे कर ली हैं आंखें लाल पूछो,
दगा किसने दिया "अवतार" तुमको,
किसने लूटा बिछाकर जाल पूछो,
© राम अवतार "राम"
मगर उसको नहीं मेरी जरूरत,
ऐसा लगता है मर ही जाएंगे हम ,
करते-करते एक तरफा मोहब्बत,
सूखती जा रही क्यों खाल पूछो ,
कभी हमसे हमारा हाल पूछो,
कैसे फिरते हो दीवानों की तरह,
बढ़ा रक्खे हैं क्यों ये बाल पूछो,
कटा है किस तरह एक एक लम्हा,
कैसे गुजरा है तुम बिन साल पूछो,
क्या तुम रात भर सोए नहीं हो,
कैसे कर ली हैं आंखें लाल पूछो,
दगा किसने दिया "अवतार" तुमको,
किसने लूटा बिछाकर जाल पूछो,
© राम अवतार "राम"