खामोशियां
#खालीअक्स
अभितलक तो शोर था अब खामोश नजारा लगता है
ये महफिल गालिब दो पल की फिर परेशान जमाना लगता है
जिलो जिंदगी खुश होकर मुझे शमशान पुराना लगता है
अभितलक तो शोर था अब खामोश नजारा लगता है
ये महफिल गालिब दो पल की फिर परेशान जमाना लगता है
जिलो जिंदगी खुश होकर मुझे शमशान पुराना लगता है