...

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अजनबी मुलाकात
मंजिल पाने की तलाश में....
निकल पड़ते हैं जब हम,
अनजान राहों पर "
मिलते हैं वहाँ कभी अपनो से...
तो कभी अजनबी लोगों से,
हर कदम पर मुलाकात हो जाती है,,,,!!

कुछ जुबां से बोले बिना भी....
आँखों से बहुत कुछ,
कह जाते हैं "
कुछ बोलने के बाद भी...
बड़े खामोश नज़र आते हैं,
निकलकर मंजिल के सफर पर "
कई चेहरे नये दिख जाते हैं,,,!!

चलते है जब हम इस सफर पर....
अनजान इन राहों में,
इनमे से कुछ मंजिल तक "
साथ निभाते हैं...
तो कुछ मतलब के लिए ही,
हमे अपना बनाते हैं,,,!!

कुछ हमे हंसाते है तो कुछ हमे रुलाते हैं...
पर बड़ी मुश्किल से मिलते हैं वो,
जो सच्चे दोस्त कहलाते हैं...
जीवन का यह सफर है ही कुछ ऐसा "
जहाँ कई अजनबी,
मिलते है और फिर बिछड़ जाते हैं,,,!!

अकेले ही शुरू होता है सफर...
मंजिल तक पहुँचने का,
कई अपने तो कई अनजान "
यहाँ मिल जाते हैं...
होता है खत्म जब सफर जिंदगी का,
एक बार फिर अकेले ही "
अपने लक्ष्य को हम पाते हैं,,,!!


© Himanshu Singh