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शीर्षक - क़िस्मत चमकाओ।
शीर्षक - क़िस्मत चमकाओ।

उठो चलो मंजिल की ओर जाओ।
घिसो एड़ियाँ क़िस्मत चमकाओ।
पसीने की बहादो सैलाब समंदर,
छिपा ज़ुनून निकाल बाहर लाओ।

भरलो बोतल में हौसले की बूँद,
रास्ते से एक गहरी दोस्ती बनाओ।
ऊँची रखो सोच रहो बेख़ौफ़ में,
ख़्वाब को दो पँख ख़ुदको उड़ाओ।

क़िस्मत की बनेगी लक़ीर हाथ पे,
आग मेहनत की ख़ुदमें जलाओ।
मंजिल नज़दीक आँखों के सामने,
ग़ौर से देखो चलो कदम उठाओ।

देर नहीं करना जाने में किसी डगर,
हर दिशा को समझो अक़्ल लगाओ।
किसी की साज़िस से घबराना नहीं,
अपने आप में तुम इतना खो जाओ।

पाँव के छाले को करो नज़रंदाज़,
नींद को अपनी जा सूली चढ़ाओ।
लो एक लंबी साँस तुम ख़ुदमे भर,
जान की बाज़ी तक खेल जाओ।

रुकना नहीं तुम्हें थकना नहीं।
अँधेरों को जाके टोर्च दिखाओ।
तूफ़ां रोके चाहे रोके कोई दीवार,
सबको आज तुम चीरते जाओ।

है हौसला तो फ़िर भरो हुँकार,
आसमाँ को जा आँख दिखाओ।
करने की है कुछ चाह तो करो,
वरना जाओ पैर पसार सो जाओ।

©Musickingrk