...

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यादों की महफ़िल
दिन तो गुज़र जाता है आपाधापी में
शाम को सजती है यादों की महफ़िल

वो भी क्या दिन थे, हर लम्हा साथ था
उंगलियों में तेरी, फंसा रहता हाथ था
तेरे नाम से होती थी मेरी हर एक भोर
शाम के स्न्नाटों में तेरे नाम का ही शोर

आँखें तेरी, दिल का आईना लगती थी
पलकों की झपक, धड़कन लगती थी
तेरी...