...

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तुम्हारी चाह में
जब से तुमको देखा है
दीन-ओ-दुनिया भुलाये बैठे हैं

जिस राह से तुम आओगे
उस राह पे निगाहें लगाये बैठें हैं

तुम शाम को आओगे
हम सुबह से शाम की
आस लगाए बैठे है ।

हर डगर में हर सफ़र में
साथ तुम्हारा मिले बस अब
तो यही चाह लिए बैठे हैं

बेवफा तो बहुत मिले अब
तुम से वफ़ा की उम्मीद लगाए बैठे है ।

© सरिता अग्रवाल