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धुंध
सितंबर माह तक,
बरसात की फुहार की समाप्ति होते-होते,
एवं अक्टूबर से जनवरी तक,
ठंड का शंखनाद हो जाता है।
शुरू में ठंड, भी गुलाबी ठंड लगती है।
यह गुलाबी ठंड लोगों को,
बड़ी ही रास आती है।
सुंदर-सुंदर टोपे, रंग बिरंगे जुराबे,
चमकते दमकते शॉले, तड़कते भड़कते स्वेटर,
लंबी-लंबी ऊनी मफलर एवं दस्ताने,
का दौर चल पड़ता है।
पर जैसे-जैसे ठंड दिखाती है अपना सितम,
कभी-कभी तो यह सितम बरसता है कहर बनकर।
चारों तरफ होती है सिर्फ धुंध ही धुंध।
धुंध भी ऐसी की, आर-पार कुछ न देता दिखाई।
ऐसे में धुंध का होता ऐसा असर,
कि आवागमन के सारे साधन...