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महिला सशक्तिकरण
हालांकि है यह तथ्य सही,
कर सकते इसे अकथ्य नहीं।
स्त्री, पुरुष प्रकृति में भिन्न कहीं,
हैं भिन्न शारीरिक क्षमता भी।
किंतु इसका ये अर्थ नहीं,
हो भेदभाव अधिकार में भी।
जागरूकता के माध्यम से,
संविधान हमारे अनुपम से,
शैक्षिक, आर्थिक और सामाजिक,
मनोवैज्ञानिक तथा राजनीतिक,
समानता हो स्त्री पुरुषों में,
सबको समान अवसर मिले।
आर्थिक तथा राजनीतिक भी,
क्षेत्रों में सभी अग्रसर मिले।
धार्मिक...