...

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रास्ता भटक गया हूँ...
एक नासमझ, नादान, अलबेला मुसाफिर हूं मैं,
जिंदगी की एक लंबी सफर तय करने को निकला हूँ
सच्चाई, सादगी, ईमानदारी को अपने साथ लेकर
पर इस खुबसूरत - सी, रंग - बिरंगी दुनिया की चकाचौंध में फसकर अपना रास्ता भटक गया हूँ।।

गाँव का रहने वाला हूँ, चोखा - भात खाने वाला हूँ मैं
पर सबके सामने पुलाव - दाल खाकर अपनी
वास्तविकता सबकी निगाहों से छिपा रहा हूँ।।

मैं गंवार अपनी मातृभाषा से प्रेम करने वाला हूँ पर कोई देखे ना हमें यहाँ हेय दृष्टि से इसलिए विदेशी भाषा अंग्रेजी में सबको अपनी बातें सुना रहा हूँ।।

कोई समझ ले ना कहीं हमें रुढ़िवादी विचारों वाला अपनी पारंपरिक वेश-भूषा छोड़ जींस - शर्ट पहन रहा हूँ ।।

हाथ जोड़, पैर छूकर सबको नजदीक से मैं प्रणाम करने वाला
आज दूर से देखकर सबको Hii, Hello, Bye, कह रहा हूँ।।

सबकी सहायता मैं करने वाला, आज उनकी बेबसी देखकर कहकहे लगा रहा हूँ ।।

कोई मुझे जाहिल - गंवार ना समझे,
इसलिए अपनी वास्तविकता सबकी निगाहों से छिपा रहा हूँ

एक नासमझ, नादान, अलबेला मुसाफिर हूं मैं,
जिंदगी की एक लंबी सफर तय करने को निकला हूँ
सच्चाई, सादगी, ईमानदारी को अपने साथ लेकर
पर इस खुबसूरत - सी, रंग - बिरंगी दुनिया की चकाचौंध में फसकर अपना रास्ता भटक गया हूँ । ।

— Arti Kumari Athghara (Moon) ✍✍




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