...

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या नहीं?
उसे नही होगी कबुल मेरी कोई भी दुआ
सजदे में उसके सर झुकाऊं या नहीं

वो पत्थर दिल बना मेरी तबाही देखता रहा
तुम बताओ,उसे मैं अपना खुदा बनाऊं या नहीं

उसकी बेवफाई पर पूरे शहर को यकीन था
रौशन उसका जहां करने को,घर जलाऊं या नहीं

फिर इंतजार में गुजरेगा रात दिन
इस बसंत उसको अपना सनम बनाऊं या नहीं

उसको तो आते हैं न आनेके लाखों बहाने
इसबार मैं उसकोे बुलाऊं या नहीं

रुसवाई होगी मेरी महफिल में हर जगह
सरेआम मैं उसको अब अजमाऊं या नहीं

pic credit: my phone
© life🧬