...

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गुलाब का वो फूल तुम्हारा
गुलाब का वो फूल तुम्हारा,
आज भी मेरी पुरानी डायरी,
के पन्ने पर चिपका दूर होने,
का नाम नहीं ले रहा,
तुम्हारे साथ होने जैसी,
खुशबू दे रहा,
उपहार का वो पैन तुम्हारा,
मुझे लिखने की प्रेरणा देता,
कुछ तुम पर लिखू,
यह बार-बार कहता,
उपहार की वो,
टी-शर्ट पुरानी,
मुझे मोटा होने नहीं देती,
थोड़ा सा वजन बढाऊ,
तो कम करने को कहती,
कुछ इस तरह याद तुम्हारी, साथ मेरे रहती।
(डी एस गुर्जर "देव")