sad poem
परेशाँ रात सारी है सितारों तुम तो सो जाओ
सुकूत-ए-मर्ग तारी है सितारों तुम तो सो जाओ
🌹🌹🌹🌹🌹🌹
हँसो और हँसते-हँसते डूबते जाओ ख़लाओं में
हमें ये रात भारी है सितारों तुम तो सो जाओ
🌹🌹🌹🌹🌹🌹
तुम्हें क्या आज भी कोई अगर मिलने नहीं...
सुकूत-ए-मर्ग तारी है सितारों तुम तो सो जाओ
🌹🌹🌹🌹🌹🌹
हँसो और हँसते-हँसते डूबते जाओ ख़लाओं में
हमें ये रात भारी है सितारों तुम तो सो जाओ
🌹🌹🌹🌹🌹🌹
तुम्हें क्या आज भी कोई अगर मिलने नहीं...