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सुनो,कसूर तुम्हारा नहीं था
सच है,,,
मैं भी तो तुम्हें बेपनाह चाहती थी
तुम छोड़ गए
कसूर सिर्फ तुम्हारा नहीं था
मैं भी तो तुम पर
खुद से ज्यादा भरोसा किया करती थी
तुम्हारी फिक्र उफ्फ!
ये मेरी जान लिया करती थी
तुम्हें सोचना,तुम्हें चाहना
जैसे मुझे कोई और काम ही नहीं था
पर उनमें सबसे खास था
तुम्हारा इन्तज़ार
पर तुम आज तक ना लौट पाए
सुनो,कसूर तुम्हारा नहीं था।
मैं भी तो तुम्हें बेपनाह चाहती थी
तुम छोड़ गए
कसूर सिर्फ तुम्हारा नहीं था
मैं भी तो तुम पर
खुद से ज्यादा भरोसा किया करती थी
तुम्हारी फिक्र उफ्फ!
ये मेरी जान लिया करती थी
तुम्हें सोचना,तुम्हें चाहना
जैसे मुझे कोई और काम ही नहीं था
पर उनमें सबसे खास था
तुम्हारा इन्तज़ार
पर तुम आज तक ना लौट पाए
सुनो,कसूर तुम्हारा नहीं था।
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