इकरार और इज़हार
जिस दौर से गुजर रहे है,
उस मोड़ पर किसी के अक्श को भुला नहीं पा रहे।
रूह को तलाश है किसी अपने की,
मगर अनजान है वोह अपना ही हमसे।
चाहत है उसकी तभी ढूंढे है दिल,
पर मिलता न...
उस मोड़ पर किसी के अक्श को भुला नहीं पा रहे।
रूह को तलाश है किसी अपने की,
मगर अनजान है वोह अपना ही हमसे।
चाहत है उसकी तभी ढूंढे है दिल,
पर मिलता न...