...

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प्यार
मैं "तुझसे" नहीं,"तुझमें" मिलना चाहती हूं ,
मोहब्बत का लम्हा, तेरे साथ बिताना चाहती हूं !!

मकसद रिश्तों में कड़वाहट पैदा करना नहीं ,
इसलिए ताउम्र, मैं तेरा इंतजार करना चाहती हूं !!

मोहब्बत के रास्ते कई बंधन बांध तो दिए , पर
उन बंधनों में, एक तेरा बंधन बांधना चाहती हूं !!

कसूर मेरा नहीं, ये इश्क़ ही बदनाम है , ख्वाब क्या
अब रात भी तेरे साथ गुजारना चाहती हूं !!

प्यार का लम्हा हर दिन अब बढ़ता जा रहा ,
बेवजह मुलाकात का किस्सा बनना चाहती हूं !!

तेरा मेरा रिश्ता एक कहानी सा बन गया ,
जिसमें हर किरदार बखूबी निभाना चाहती हूं !!

ताउम्र तुझसे वास्ता रखकर , प्यार निभा, फिर
हर दिन तुझे अपना समझ लिखना चाहती हूं !!

मोहब्बत ने सबको बदनाम किया होगा , पर
इसी से हर रिश्ता अब मैं निभाना चाहती हूं !!

मैं "तुझसे" नहीं,"तुझमें" मिलना चाहती हूं ,
मोहब्बत का लम्हा, तेरे साथ बिताना चाहती हूं !!