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मयखाने
#मयखाने

जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
मुझसे रूठे रूठे सारे मयखाने हैं,
जब से हुई है आमद मेरी शहर में तेरे
मानो रूठे मुझसे जमाने है|

ये कैसी वफा-ए-महोब्बत तेरी..?
कैसी है ये सज़ा?

जब से हुई है आमद मेरी शहर में तेरे
क्यूं हो गया है तू मुझसे खफा?

ना चाहत है मुझे इन मयखानो की,
ना परवाह की मैने इस जमाने की,
हर आस तुझसे ही बस लगाई थी...

जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
मुझको तो मानो एक नया जहान मिला..
पूछा हर किसी से तुझे, ढुंढा हर जगह तुझे
ना किसी से तेरा पता मिला...

आखिर कैसे ये फसाने हैं?
जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
मुझसे रूठे रूठे सारे मयखाने है|

#love #hindipoem #shayri