...

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आशिक तुम्हारा
कहा से करूँ खत की शुरुआत
जीसमें हो अपनेपन का अहसास
Dear ही वो एक ऐसा शब्द
लगे करिबी होने का आभास
तुमसे शुरू करूँ तुम्हीं पर खत्म
तुमसे ही कविता तुमसे ही हम
लिखने बैठूँ जो प्रेम की पाती
तेरी तस्वीर से नजर ना हटती
Dear के बाद यहीं लिखना चाहूँ यारा
लौटती डाक की राह में - यारा तुम्हारा

© ख़यालों में रमता जोगी