दृष्टिकोण
कभी बृहद ,कभी अनहद
कभी पार करता सरहद
यह दृष्टिकोण ही तो है
जो बातों को विस्तार देता है...
कभी संकीर्ण ,कभी विदीर्ण
तो कभी क्षीण होता
यह दृष्टिकोण ही तो है
जो बातों को...
कभी पार करता सरहद
यह दृष्टिकोण ही तो है
जो बातों को विस्तार देता है...
कभी संकीर्ण ,कभी विदीर्ण
तो कभी क्षीण होता
यह दृष्टिकोण ही तो है
जो बातों को...