...

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झूठी दुनिया झूठे लोग
आखिर ये कैसा दौर चल रहा है
हर कोई मतलब से जुड़ रहा है
कीमत नही अब सच्चाई की
यहां तो अब झूठ बिक रहा है
एहसासों की कदर नही रही
फरेब हर दिलो में पल रहा है
न सुदामा सी दोस्ती न कृष्ण सा त्याग
अब तो रद्दी के भाव जज्बात तूल रहा है
न मीरा सा समर्पण न राधा सी दीवानगी
प्यार तो अब वक्त गुजारने का साधन बन रहा है
फकीर भी अब मालामाल हो रहे
आंसू भी खैरात सा लग रहा है
कोई मरता है तो मरे शौक से
अपना तो भला हो रहा है....