तो आना
कि लफ्जों से बयां नहीं कर पाती मैं जज़्बात अपने
तुम बिन कहे भी अगर समझ सको तो आना
होठों पर अक्सर मुस्कान ही रहती है मेरे
तुम...
तुम बिन कहे भी अगर समझ सको तो आना
होठों पर अक्सर मुस्कान ही रहती है मेरे
तुम...