...

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तेरी राजधानी है।
दिल के शहर पर तेरी हुक़्मरानी है ,
जो मर्जी कर ये तेरी राजधानी है।

टांग दो सूली पर या क़त्लेआम करो ,
दिल दे दिया अब ,ये तुम्हारी जिम्मेदारी है।

ज़माना पूछता है ये कौन है जो तुझपे तारी है,
बताऊं क्या उन्हें कि तिरी मुझसे भी पर्दा दारी है।

महक रही है मिरी रहग़ुजर गुमनाम ख़ुशबू से ,
क्यूं न हो? ख़्यालों में तिरी आमदें जो जारी है।

वो संगदिल , वो सौदाई , वो हरजाई ज़माने भर का‌ है लेकिन ,
उस हुस्न- ए- दिलारा की हर एक अदा मेरे इश्क़
पे भारी है।।

© khak_@mbalvi